हैवान जमाना है बेबस हर नारी है,
सदियों से यही क्यों माँ नारी ये बेचारी है,
बन कर के माँ दुर्गा बन कर के महाकाली
अवतार दोबारा लो करने माँ रखवाली
औरत है संकट में बस आस तुम्हारी है,
सदियों से यही क्यों माँ नारी ये बेचारी है,
कभी लुटा अपनों ने कभी बेचा गैरो ने
कभी बांधा गया जबरन घुंगरू माँ पैरो में
औरत ही हर युग में हारी बस हारी है ,
सदियों से यही क्यों माँ नारी ये बेचारी है,
सीने में दर्द भरा आँखों में पानी है
चुप चाप सहें हर गम कैसी जिन्ग्दानी है
हस्ते हुए सहती है एसी दुखयारी है,
सदियों से यही क्यों माँ नारी ये बेचारी है,