खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं घनश्याम तुम्हारा क्या कहना
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना , मेरे श्याम तुम्हारा क्या कहना
खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं घनश्याम तुम्हारा क्या कहना
हारे के यही सहारे है ये सचे साथी हमारे है,
आते दर पर लाखो इस के ये सब के काम बनाते है
खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं घनश्याम तुम्हारा क्या कहना
ये भीम सेन के प्यारे है माँ की आँखों के तारे है
जो दीन हीन दर पे आये ये सब को गले लगाते है,
खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं घनश्याम तुम्हारा क्या कहना
फागुन में मेला लगता है याहा बिगड़ा काम सवर ता है
खुशियों से भर जाती झोली जो सचे मन से ध्याता है,
खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं घनश्याम तुम्हारा क्या कहना
जो सब दर से ठुकराये है वो श्याम शरण में आये है ,
चलते खाटू नगरी में हम पुलकित सिंह लाल गाते है,
खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं घनश्याम तुम्हारा क्या कहना