इस योग्य हम कहा साँवरे जो तुम्हे हम मनाये

इस योग्य हम कहा साँवरे जो तुम्हे हम मनाये
फिर भी मना रहे है शायद तू मान जाए
इस योग्य हम कहा साँवरे जो तुम्हे हम मनाये

जब से जन्म लिया है मोह ने है हम को गेरा,
तेरा नाम जब पुकारे दुःख से नाता है टुटा
सुख भोगने की ईशा कभी तृप्त न हो पाए,
इस योग्य हम कहा साँवरे जो तुम्हे हम मनाये

जग में याहा भी देखा बस इक ही चलन है,
इक दुसरे के सुख पर खुद बडी जलन है
कर्मो का लेखा जोखा कोई समज ना पाए ,
इस योग्य हम कहा साँवरे जो तुम्हे हम मनाये

जब कुछ न कर सके तो तेरी शरण में आये,
हम छमा मांगते है झेले गे सब सजाये
अब दर्श तू दिखा दे और कुछ न है हम चाहे
इस योग्य हम कहा साँवरे जो तुम्हे हम मनाये
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