अब तो बाबा सुन लो हम भगतो की दरकार

अब तो बाबा सुन लो हम भगतो की दरकार
अब के जन्मदिन से पेहले तुम खोल देना दरबार

हारे है बाबा हम तो बिना तेरे संवारे,
जीवन की डोर बाँधी तेरे संग संवारे
कार्तिक की ग्यारस पर हमे देदो ये उपहार ,
अब के जन्मदिन से पेहले तुम खोल देना दरबार

मिलने की चाहत दिल का चैन चुराये रातो की नींद मेरी उडी उडी जाए,
तरस रहे नैना तेरे दर्शन को दिलदार
अब के जन्मदिन से पेहले तुम खोल देना दरबार

अखियो में आंसू भरे बैठे इन्तजार में
भूखे है हम तो बाबा प्यासे तेरे प्यार में
चेहल दीवाने की तो अर्जी पड़लो सरकार
अब के जन्मदिन से पेहले तुम खोल देना दरबार

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