कलियुग के घोर अंधेरे में-2 तेरी जगमग ज्योत जगे, चमके तेरा नूर ।
धरती अम्बर पाताल में भी,-2 तेरे नाम का डंका बजे, चमके तेरा नूर ।।
तर्ज: तेरी प्यारी-प्यारी सूरत को, किसी की नजर न लगे
मोहन मुरली वाला तू, भक्तों का रखवाला तू ।
भरी सभा में द्रुपद-सुता की, लाज बचने वाला तू ।।
अर्जुन के रथ को तू हांका-2 किया उसका दुखड़ा दूर, चमके तेरा नूर ।
कलियुग के घोर अंधेरे में, तेरी जगमग ज्योत जगे, चमके तेरा नूर ।
नरसी की हुंडी तारी तू, साँवलशाह गिरधारी तू ।
धुर्व प्रह्लाद की रक्षा की, और तारी मीरा बाई तू ।।
इक बार तो नजरे फेर इधर-2 और करदे दुखड़ा दूर, चमके तेरा नूर
कलियुग के घोर अंधेरे में, तेरी जगमग ज्योत जगे, चमके तेरा नूर ।
दर-दर का ठुकराया हूँ, प्रभु तेरी शरण मे आया हूँ ।
महिमा तेरी सुन सुनकर, चरणों मे शीश झुकाया हूँ ।।
प्रभु ले लो शरण मे तुम अपनी-2, मैं आया हो मजबूर, चमके तेरा नूर ।।
कलियुग के घोर अंधेरे में, तेरी जगमग ज्योत जगे, चमके तेरा नूर ।
पापी हूँ या कपटी हूँ, चाहे मैं नालायक हूँ ।
हांथ धरो मुझ पर मोहन, आखिर तेरा बालक हूँ ।।
तू जन्म-जन्म का साथी मेरा-2 नैनो से मत हो दूर, चमके तेरा नूर ।
कलियुग के घोर अंधेरे में, तेरी जगमग ज्योत जगे, चमके तेरा नूर ।