थक गया हूँ चलते चलते अब तो राह दिखा जाओ
छूट गए हैं सारे सहारे अब तो थामने आ जाओ
थक गया हूँ चलते चलते ...................
जिन पर मुझको गर्व था बाबा ये ना मुझको छोड़ेंगे
सोचा ना था सबसे पहले वो ही नाता तोड़ेंगे
तुमको ही अब अपना माना अपनापन दिखला जाओ
थक गया हूँ चलते चलते ..............
कहती हैं ये दुनिया मैंने ऊंची मंज़िल पाई है
उनको मैं कैसे समझाऊं कितनी ठोकर खाई हैं
थाम लो मेरा हाथ ये बाबा मंज़िल तक पहुंचा जाओ
थक गया हूँ चलते चलते ..............
मजबूरी में भक्ति मेरी नाटक जग को लगती है
लाचारी में रट रट मेरी रातें कटती हैं
है भगत आकाश तुम्हारा दुनिया को बतला जाओ
थक गया हूँ चलते चलते ..............