थारे चरना में रम जावागा

ग्यारस की मैं धोक बाबा खाटू में लगावा गा
थारे चरना में रम जावागा
ग्यारस की मैं धोक बाबा खाटू में लगावा गा

बड़े दिनों के बाद ये रात आई है
बाबा मत तरसाओ
दर्शन के खातिर ही अखियाँ ये रोइ ही मुखड़ो दिखा जाओ
बारस ने ओ श्याम थारी ज्योत जलावा गा
थारे चरना में रम जावागा

थारे भरोसे ही में चल कर आया हां
बाबा थे ध्यान धरो
भगता ने सांवरियां ऐसे न तडपाओ सिर पे हाथ धरो
थारी किरपा से भव पार में जावांगा
थारे चरना में रम जावागा

ये सामने म्हारे महे सामने थारे
क्यों अखेया मीचो हो
अरचु की बाबा थाणे सुननीं ही पड़ सी
क्यों कान भीचो हो
घर में पधारो श्याम थारी रात जगावा गा
थारे चरना में रम जावागा
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