हो..... बीच गुफा के भवन तुम्हारा,
चरणों में बहती गंगा की धारा।
माँ जय माँ मेरी शेरांवाली माँ.....
हो... जो करती है सिंघ सवारी,
उसकी छवि है सबसे प्यारी।
माँ जय माँ मेरी शेरांवाली माँ.....
माथे मुकट गल मोती की माला,
अष्ट भुजा का रूप निराला,
हाथों में मेहँदी पावों में पायल,
मन को लुबाये माँ तेरा आँचल।
माँ जय माँ मेरी शेरांवाली माँ.....
हो... जो भी आये हाथ पसारे,
भरती है सबके माँ भंडारे,
माँ जय माँ मेरी शेरांवाली माँ.....
हो.....जिसका नाम है वैष्णो मईया,
पार उतारे सबकी नईया,
माँ जय माँ मेरी शेरांवाली माँ.....
सब करते है जिसकी पूजा,
उसके जैसा कोई ना दूजा,
जय जय माँ वैष्णो रानी,
तेरी महिमा ना जाए बतानी।
माँ जय माँ मेरी शेरांवाली माँ.....
माँ मेरी माँ मेहरा वाली माँ....
मंदिरा वाली माँ तेरी सदा ही जय........