दयो दर्शन घनश्याम श्याम भक्तन प्रतिपाली जी,
थे रख ल्यो मेरी बात रात या आधी चाली जी,
दयो दर्शन....
थे तो जानो ही हो दाता भूखे की कोई जात नहीं,
खाली हाथा लोटू तो दरबार के लायक बात नहीं,
तेरे दर से मेरी झोली जाए न खाली जी
दयो दर्शन.....
दुनिया का ये लोग लुगाई म्हारे से आकर अड़गा,
कठे हे श्याम झूठो बोले यु कहकर के बांथा पड़गा
हे बनवारी कृष्ण मुरारी,रख मुख लाली जी
दयो दर्शन....
पंखो लीन्यो हाथ सोवणो बण्यो मोर पंखा वालो,
हिलयो सिंघाशन खाटू वालो उठ कर के बेगो चाल्यो,
ओ बनवारी रास संभाली ,लीले वाले जी.
दयो दर्शन....
चक्र हाथ में बाण साथ में मोर छड़ी ले बनवारी,
आकर बोल्यो तू कयु डरपे करू रात दिन रखवाली,
छोड़ विचार ध्यान धर मेरो या दुनिया ठालीजी,
दयो दर्शन....
काशीराम को श्याम सलोनो भक्त काज हित आवेजी,
निज भगता की सुन बिनती आकर कस्ट मिटावे जी,
मन्नालाल मन धीरज धर तेरो श्याम रूखाळी जी,
दयो दर्शन...
भजन रचियता : मन्नालाल बावलिया झुंझुनू