दर पे आके तेरे साईं बाबा,
कुछ सुनाने को दिल चाहता है,
ना जुदा अपने चरणों से करना,
सर झुकाने को दिल चाहता है.....
मैं जहाँ भी गया मैंने देखा,
लोग हैं स्वारथी इस जहाँ में,
बात है क़ुछ दबी सी लबों पे,
वो बताने को दिल चाहता है.....
थाम लो बाबा दामन हमारा,
अब मुझे बस है तेरा सहारा,
मोह माया भरे झूठे जग से,
मन हटाने को दिल चाहता है.....
बस यही एक कृपा मुझपे कर दो,
हाथ हो तेरा सर पे हमारे,
भक्ति रस में तुम्हारे ओ बाबा,
डूब जाने को दिल चाहता है.....
नाम का जाम मुझको पिला दो,
बस यही आपसे माँगते हैं,
‘परशुराम’ छबि बाबा की मन में,
बस बसाने को दिल चाहता है.....
दर पे आके तेरे साईं बाबा,
कुछ सुनाने को दिल चाहता है,
ना जुदा अपने चरणों से करना,
सर झुकाने को दिल चाहता है.....