लगी लगी लगन कैसी लगी लगी,
पिया जो भांग का प्याला है,
मन मेरा हुआ मत वाला है,
जितनी पी भांग प्यास उतनी ही लगी,
लगी लगी लगन कैसी लगी लगी....
खाया भंग का गोला मेरा तन मन ढोला,
मैं उडू हवाओ में क्या कर दिया भोला,
नस नस में मेरी भगती ही शाही कैसी है तूने बूटी पिलाई होश गवा बेठा मैं इसी ,
लगी लगी लगन कैसी लगी लगी.....
दिल मेरा बोले जय बम बम भोले,
भगती सागर में मन खाए हिचकोले,
मन मेरा दीवाना है रमका जोगी मैं हु तेरा शिव प्रेम का रोगी,
तेरे नाम का पी के प्याला किस्मत मेरी जगी,
लगी लगी लगन कैसी लगी लगी