भादो की रात काली झुकी रे अंधेरिया

भादों की रात काली झुकी रे अंधिरिया भयो अजब कमाल,
जायो देवकी ने लाल देखो जेलन में जेलन में.....

अद्भूद शक्ति पैदा हो गयी जेलेंन के दरवियान हो,
चार भुजा और रूप अनोखा जयति चंद्र समान हो,
हाथ चंद्र और गधा विराजे  नैना कमल समान हो,
गल वैजन्ती माला कन्नन मे कुण्डलिया भयो,
भादों की रात काली....

करे स्तुती जेल मे दोनों छायी ख़ुशी आपार हो,
हाथ जोड़ के बोली मैया ऐसो रूप निहार हो,
रूप छिपाये करे शिशुलीला ऐसे करे ऊपार हो,
बालक पन फिर रोये है कन्हैया भयो,
भादों की रात काली....

धयान भयो वासुदेव को जब ही कंस को बालक जानो है,
कंस के हाथ मे दोनों होयेंगे आपनो ये वचन निभानो है,
करो मशवरा फिर दोनों ने गोकुल मे पहुचानो है,
चल वासुदेव लेके डाल को छैया भयो,
भादों की रात काली....

सोए सब संत्री सब जेलन के सो गये पहरेदार हो,
लाला को लेकर के चल दिये सुमर श्री करतार हो,
लाला को लेके चले गोकुल की डगरिया,
भादों की रात काली....
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