सबको पालनहार बैठ्यो बन ठन के

खुली हवा में महक श्याम की भक्तों को है लाई,
कीर्तन की है रात सभी के कष्ट मिटाने आई,
सारे जग में होते चर्चे श्याम तेरी महफ़िल के,
दरबार सजा के श्याम की हमने भी है ज्योत जलाई,
अलबेलो श्रृंगार करके श्याम दमके,
सबको पालनहार बैठ्यो बन ठन के....

महके रे श्रृंगार तन पे फूल बन के,
सावँरे को पाकर सारे फूल चमके,
खाटू को सरकार बैठ्यो बन ठन के,
सबको पालनहार बैठ्यो बन ठन के....

कानन कुण्डल हार गले में खूब चमके,
मोती चमके रे नगीना चमके,
कलयुग को अवतार बैठ्यो बन ठन के,
सबको पालनहार बैठ्यो बन ठन के.....

हारे के सहारे बाबा जन जन के,
खाटू से खुलते हैं रास्ते जीवन के,
भक्तां को लखदातर बैठ्यो बन ठन के,
सबको पालनहार बैठ्यो बन ठन के,
अलबेलो श्रृंगार करके श्याम दमके,
सबको पालनहार बैठ्यो बन ठन के.....
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