माँ के दर सा कोई दर नही है

लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो माँ के दर सा कोई दर नही है,
यहाँ बिगड़ी बने हर किसी की इसके जैसा कोई दर नही है,
लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो......

दर बदर खा के ठोकर जो थक कर, आ गया गर कोई तेरे दर पर,
तुने उसको ही अपना बनाया, मौत का फिर उसे डर नही है,
लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो......

जीते मरते जो तेरी लग्न मे, जलते रहते विरह की अग्न मे,
है भरोसा तेरा हे भवानी, तू नरम दिल है पत्थर नही है,
लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो....

तू पिला दे जो एक बूंद रस की, क्या कमी है तेरे पास रस की,
इतनी ममता भरी तेरे दिल में, इससे गहरा कोई सागर नही है,
लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो....

नाम रस का लगा चस्का जिसको, लगता बैकुंठ फीका सा उसको,
माँ ने दिल में फिर उसको बिठाया, जिससे बेहतर कोई घर नही है,
लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो....

मान ले सिर्फ माँ को तू अपना, सीख ले याद मे बस तड़फना,
वो लगा लेगी सीने से तुझको, दिल मे बैठी है बाहर नही है,
लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो....

कर्म है माँ की निष्काम सेवा, धर्म है उसकी की इच्छा में इच्छा,
सौप दे माँ के हाथो में डोरी, तुझे गिरने का फिर डर नही है,
लाखों दर तो है दुनिया में यूं तो....
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