अब तो आजा प्रभु की शरण में,
तेरी दो दिन की है जिंदगानी,
मन का पंसी है चंचल प्राणी,गहरी नदियाँ है नाव पुराणी,
मोह माया में फस के गाफिल तूने विरथा समय सब गवाया,
जोश में ना तू होश गवाना,ये सदा न रहे गी जवानी,
अब तो आजा प्रभु की शरण में.........
तेरी डोले है जीवन की नैया,
करदो उसको प्रभु के हवाले,
हाथ पतवार है उसी के पार उसको ही है ये लगानी,
अब तो आजा प्रभु की शरण में..
काल का तेरे सिर पे है पहरा,
खोफ तुझको जरा भी नही है,
क्यों तू करता है अभिमान बंदे,
सारी दुनिया है बस आनी जानी,
अब तो आजा प्रभु की शरण में....