सबको मीत बनता चल मन साई गुण गाता चल,
प्रेम के द्वीप जलता चल मन साई धुन गाता चल,
सीधा गिन या उल्टा गिन जीवन के है चार दिन,
अच्छे कर्मो के गुण से करले सफल हर एक पल चुन,
सुमिरन जोट जलाता चल मन साई धुन गाता चल,
प्रेम के द्वीप जलता चल मन साई धुन गाता चल,
मन का धीरज खोता है पाप का बोजा धोता है,
ओरो को छलने वाला एक दिन खुद ही रोटा है
रोते हुयो को हस्ता चल मन साई गुण गाता चल,
प्रेम के द्वीप जलता चल मन साई धुन गाता चल,
तेरा मेरा करना क्या धन दौलत पर मरना क्या,
कड़वी हो या मीठी हो बात करि तो डरना क्या,
सताय की राह दीखता चल मन साई धुन गाता चल,
प्रेम के द्वीप जलता चल मन साई धुन गाता चल,