रोज थोड़ा थोड़ा साईं का भजन करले

तर्ज – थोड़ा थोड़ा हरी का भजन करले

रोज थोड़ा थोड़ा साईं का भजन करले,
अच्छा भला कोई तो करम करले,
रोज थोड़ा थोड़ा बाबा का भजन करले,
रोज थोड़ा थोड़ा साईं का भजन करले.......

समझ ना पाए जग रैन बसेरा है,
रात भर का डेरा है सवेरे चले जाना है,
छोड़ माया जाल सतसंग करले रे,
छोड़ माया जाल सतसंग करले रे,
रोज थोड़ा थोड़ा बाबा का भजन करले,
रोज थोड़ा थोड़ा साईं का भजन करले.......

जाग रे मुसाफिर जग दो दिन का मेला है,
छोड़ मेरा मेरा यहाँ कुछ नहीं तेरा है,
श्रद्धा और सबुरी का मनन करले रे,
श्रद्धा और सबुरी का मनन करले रे,
रोज थोड़ा थोड़ा बाबा का भजन करले,
रोज थोड़ा थोड़ा साईं का भजन करले........

आया था अकेला तुझे जाना भी अकेला है,
साचा नाम साई का जग झूठा झमेला है,
साई मुक्ति दाता है नमन करले रे,
साई मुक्ति दाता है नमन करले रे,
रोज थोड़ा थोड़ा बाबा का भजन करले,
रोज थोड़ा थोड़ा साईं का भजन करले.......

तूने जो कमाया सब यहीं रह जाएगा,
साई का भजन बन्दे साथ तेरे आएगा,
साई रंग में ही खुद को ही रंग ले रे,
साई रंग में ही खुद को ही रंग ले रे,
रोज थोड़ा थोड़ा बाबा का भजन करले,
रोज थोड़ा थोड़ा साईं का भजन करले......
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