नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया

सूनी है गोद मेरी भरदे साँवरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं सारी उमरिया,

पुत्र दो या पुत्री दो ममता बरसाउंगी,
तेरी सोगात बाबा सीने से लगाऊ गी,
गूंजे किलकारी घर में दिन और रतिया,
नंगे.......

बांझ नही कहलाऊँ में ऐसा वरदान दो,
इस दुखिया का जग में नही अपमान हो,
सुनती हूँ ताने सबके खरी खोटी बतिया,
नंगे......

मेरे आसुंओ की धारा गंगा सी बहती है,
कब होगी आस पुरी आत्मा ये कहती हूँ,
विनती स्वीकार करो जग के खेवैया,
नंगे......

गीत रचना।अंजना आर्या
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