राधा माधव की मंद मुस्कान
राधा माधव की मंद मंद मुस्कान, मधुर मधुर मधुरीली छबि पै, जग सारा कुर्बान - राथा माधव
सुन्दर वस्त्र भूषण पहनें ।
अद्भुत रूप छटा क्या कैहने ।।
जो देखे देखत रहि जाए, मुख से हटे न ध्यान - राधा माधव
ब्रजलीला आधार हैं दोनों।
सर्व सार को सार हैं दोनों ।।
देखन में भले ही दो लागें, पर इक तन मन प्राण-राधा माधव
मधुर मधुर बंसी जब बाजे ।
हर कोई झूमें हर कोई नाचे ।।
'मधुप', युगल हरि का यह दर्शन, मंगल-मूल निधान - राधा माधव