जो वृंदावन में आए नहीं, मोहन का ठिकाना क्या जाने?
जो इन गलियों में आए नहीं, मेरे श्याम को पाना क्या जाने
प्रेम गली अति सांकरी है,
कैसे मिलना हो मोहन से.. ॥2 ॥
जो मोहन को दिल में बसाया नहीं,
वो दिल का लगाना क्या जाने ..
जो इन गलियों में आए नहीं,
मेरे श्याम को पाना क्या जाने
वृंदावन की इन गलियों में,
श्यामा के चरण पड़े तो होंगे ,
और श्याम भी यहीं चले होंगे,
जिसने कभी प्रेम से पुकारा नहीं,
मेरे श्याम का आना क्या जाने,
जो इन गलियों में आए नहीं,
मेरे श्याम को पाना क्या जाने
विष अमृत सा मीरा पी गई ।
श्याम दीवानी मीरा जी गई ॥2॥
मीरा सा कोई अमृत की तरह,
विष का पी जाना क्या जाने..
जो इन गलियों में आए नहीं,
मेरे श्याम को पाना क्या जाने
गीतकार - प्रकाश तिवारी मधुर