सब को रहा वो देख बावरे

सब को रहा वो देख बावरे.
पण्डित हो या शेख बावरे.

कोई जग में मोती पाए ,कोई केवल कंकर पाता .
कोई धूप में जलता दिन भर, कोई ठंडी छां अलसाता.

अपना अपना लेख बावरे पण्डित हो या शेख बावरे.
अपने हाथ से खुद ही रंग ले अपने कर्मों की तस्वीरें.

कर्मों से बनती बिगड़ती उजली धुँधली सब तस्वीरें.
तू भी बदल ले रेख बावरे पण्डित हो या शेख बावरे.

इतने ठोकर खा के भी बस पाप ही पाप कमाता है।
अब तो चल तू नेक राह पे अंतर्मन समझाता है.

सुनता न तू एक बावरे पण्डित हो या शेख बावरे .
सब को रहा वो देख बावरे.

Lyrics music singers
Rajkumar Bhardwaj.

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