मैं श्याम दीवाना हो गया और क्या चाहिए क्या चाहिए,
मेरा बाबा बड़ा कमाल इसने कर दिया मालामाल
अब मैं इससे ज्यदा क्या कहू,
मैं इसके रंग में खो गया और क्या चाहए क्या चाहिए,
कड़ताली लेके सवाली मेरा बाबा लाख्दातरी,
संग मोरछड़ी है जिनके गुणगाती दुनिया सारी,
संग जिसके सरकार उसको फिर किसकी दरकार,
सवारियां संग में हो गया और क्या चाहिए........
फागुन का मेला भरी आते लाखो नर और नारी,
मंदिर है छोटा लेकिन सबकी आती है बारी,
होली की धूम देख तू खाटू में घूमके देख,
मिलने का बहाना हो गया और क्या चाहिए.......
दुनिया में एक द्वारा यहाँ मिलता सबको सहारा,
उसे हरने नही ये देते जिसने भी इसे पुकारा,
जो एक बार आ जाये उसके सोये भाग जगहे,
कन्हिया अब मस्ती में मैं रहू चरणों में ठिकाना हो गया,
और क्या चाहिए.......