दुःख दर्द मिटाने वाला दर मशहुर इसका है,
जो जाने भी ना जाए तो कसूर किसका है,
बेठा दरबार सजा के ये मोर छड़ी को उठा के,
जो शरण में आये एक पल रखता है गले लगा के,
हारे सहारा बन जाना दस्तूर इसका है,
जो जाने भी ना जाए तो.............
ये छोड़ दे रिश्ते दारी इन अपने और गेरो को,
जो पल पल रोकना चाहे तेरे बड़ते हुए पैरो को,
तू कदम बड़ा खाटू में कहा दर दूर इसका है,
जो जाने भी ना जाए तो.........
मैंने तो अपनी नैया करदी श्याम हवाले,
इसकी मर्जी ये डुबो दे इसकी मर्जी ये निकाले,
सोनी ये जो करे फ़ेसला मंजूर इसका है,
जो जाने भी ना जाए तो...........