है बड़ी सरल शिरडी की डगर चल पड़ो तो शिरडी दूर नहीं,
दुरी तब तक ही दुरी है जब तक उनको मंजूर नहीं,
तू लगन लगले बस दिल से साई का भुलावा आयेगा,
कब कैसे शिरडी पौंछ गया तू खुद भी जान ना पाएगा,
साई की किरपा ना हो तुझपर उस दर का रहा न दस्तूर नहीं,
है बड़ी सरल शिरडी की डगर.......
हो अवनाशी अंतर यामी हर दिल की दरकन सुनती है,
चुन चुन कर दुखड़ा दामन से साई खुशिया ही भरते है,
पर तभी निहारे गए बाबा जब तक श्रद्धा भरपूर नहीं,
है बड़ी सरल शिरडी की डगर,
शिगनापुर में शनि देव रमे शिरडी की सजत रखवाली में,
बिन दरवाजो के घर सारे ईमान यहाँ नर नारी में,
जिस जिस ने भी दर्शन किया सलाब वो कभी रहा मजबूर नहीं,
है बड़ी सरल शिरडी की डगर