मेरा नाम है सुदामा मेरे तन पे नहीं यामा,
चला आया हु कन्हैया बड़ी दूर से,
मेरे पाँव में पड़ गए छाले ओ कन्हैया मुरली वाले,
चला आया हु कन्हैया बड़ी दूर से,
ना पाँव में जुतिया मेरे ना सिर पे है पगड़ी,
मेरी और कन्हैया की है यारी सबसे तकड़ी,
रे बचपन का यार तेरा मैं हु घनश्याम,
संग में खेले संग में घूमे संग में दही चुराई,
मेरा नाम है सुदामा मेरे तन पे नहीं यामा....
दवार पाल ये जाकर बोला सुन ये त्रिपुरारी,
खुद का नाम बताता कान्हा तुम से बताता यारी,
इतना ही सुनके दोहरे आये श्याम,
श्याम दोहरे दवार पे आये अपने गले लगाए,
मेरा नाम है सुदामा मेरे तन पे नहीं यामा,
महल में आके शिंगशन पे सुदामा बिठाये,
अपने असुवन की गंगा से श्याम ने चरण धुलाये,
ओ मेहर करि उसपे घनश्याम ने ,
तेरे दर पे आये और शुबाष गीत ये गाये,
मेरा नाम है सुदामा मेरे तन पे नहीं यामा,