बीत गये दिन भजन बिना रे । भजन बिना रे भजन बिना रे ॥ बाल अवस्था खेल गवांयो । जब यौवन तब मान घना रे ॥ लाहे कारण मूल गवाँयो । अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे ॥ कहत कबीर सुनो भई साधो । पार उतर गये संत जना रे ॥