मैं हूँ छोरी हरयाणे की कैसे क्या करवा दू गी,
जे खाटू न ले चले तो नो नो ताल नचा दूंगी,
मैं हूँ छोरी हरयाणे की....
जे ससुरो खाटू ले चले धोती दौड़ सूखा दूंगी,
जे खाटू न ले जा धोती फाड़ रुमाल बना दूंगी,
मैं हूँ छोरी हरयाणे की......
ये सासु खाटू ले चाले धी का पलका डालू गी,
ये खाटू न ले चाले तो रोटा ने तरसा दूंगी,
मैं हूँ छोरी हरयाणे की.....
जे देवर खाटू ले चाले द्योरानी पटा दूंगी,
ये खाटू न ले चाले तो तीन तलाक करवा दूंगी,
मैं हूँ छोरी हरयाणे की......
जे ननद खाटू ले चाले नन्दोई मनवा दूंगी,
जे खाटू न ले चले तो पीहर बंद करवा दूंगी,
मैं हूँ छोरी हरयाणे की
जे परिवजी खाटू ले चाले संग में ले जिमादूंगी,
जे खाटू न ले चले तो धका दे के गिरा दूंगी,
मैं हूँ छोरी हरयाणे की