वृन्धावन के कण कण में वसता है राधा नाम,
मेरे मन में राधा नाम मेरे तन में राधा नाम,
वृन्धावन के कण कण में वसता है राधा नाम,
मोहन की मेरे हर एक अदा है निराली,
बन के मैं इसके दर पे सवाली,
चरणों में सिर जुकाया नजर आया राधा नाम,
वृन्धावन के कण कण में वसता है राधा नाम,
निधिवन जी जा कर देखा करिश्मा अजब का,
प्रेम रस मगन लगाये नजारा गंगन का,
गोपियों संग रास लीला रंग महल में राधा नाम,
वृन्धावन के कण कण में वसता है राधा नाम,
आँखों से पी कर झूमे मोहन की मस्ती में,
ये कैसा नशा है मेरे ठाकुर की भगती में,
नजरो से श्ल्के याम तो अश्को में राधा नाम,
वृन्धावन के कण कण में वसता है राधा नाम,
बांके बिहारी हो तेरा इतना सहारा,
अंतिम शनो में केवल ध्यान हो तुम्हारा,
जब तन से निकले प्राण हो जुबा पे राधा नाम,
मेरे मन में राधा नाम मेरे तन में राधा नाम,
वृन्धावन के कण कण में वसता है राधा नाम,