हे गिरधर गोपाल श्याम तू आजा मेरे आँगना
माखन मिसरी तुझे खिलाओ और झुलाऊँ पालना
छोटे छोटे हाथ में तेरे बंशी आज सजा दूँ मैं
मोर मुकुट अपने हाथों से तेरे सिर पे बांधू मैं
खेलन को तोहे देउँ खिलौना आजा रे मनमोहना
माखन मिसरी तुझे खिलाओ और झुलाऊँ पालना
चन्दन चौकी सजी है थाली, भोग लगा ले भाव से
दूध-मलाई मटकी भरी है,खाले मेरे हाथ से
कब से बाट निहारूं तेरी,और मोहे तरसाव ना
माखन मिसरी तुझे खिलाओ और झुलाऊँ पालना
मैं तो अर्जी करूँ रे कन्हैयाँ , आगे तेरी मरजी है
आना हो तो आ साँवरिया , फिर क्यों करता देरी है
मुरली की या तान सुनाजा, चाल ना टेढ़ी चाल ना
माखन मिसरी तुझे खिलाओ और झुलाऊँ पालना
धन्ना जाट ने तुझे पुकारा, रूखा सूखा खाया तू
करमा बाई लाई खीचड़ो, रूचि रूचि भोग लगाया तू
मेरी बार क्यों रूठ के बैठा , भाई ना मेरी भावना
माखन मिसरी तुझे खिलाओ और झुलाऊँ पालना
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