बता दे पुरवईया भवानी कब आयेगी

बता दे पुरवईया भवानी कब आयेगी।
भवानी कब आयेगी, दर्श दिखलाएगी॥

मैंने सुना है माँ के आँगन, सुख का सावन बरसे।
कभी कोई ना खली लौटा, महारानी के दर से।
किस्मत के मारो की कब, झोली भर जायेगी॥

डाली चिठ्ठी भेजे संदेसे, कोई जवाब ना आया।
ना मेरे घर आई तू मैया, न ही मुझे बुलाया।
बैठा हूँ मैं इसी भरोसे, कभी तो फेरा पाएगी॥

रोम रोम में बसी भवानी, मैं उस का दीवाना।
उसके दर के सिवा ना कोई, मेरा और ठिकाना।
प्यार से मैया कभी तो मुझको गोदी बीठलाएगी॥

दीपक आशाओं का मेरे कहीं यह बुझ न जाए।
तरस रही हैं आखें मेरी व्याकुल मन घबराए।
मुरझायी बगिया को अम्बे कभी महकाएगी॥
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