साई तेरी तस्वीर से होती रुबरुह अखियां,
अक्शो की धारा बह जाती करती तुमसे दिल की पतिया,
साई तेरी तस्वीर से
मुख न बोल पाऊंगा मैं बेचैन हो जाता है दिल,
इक इक कतरा मेरे अंसुवन का करता व्यान हाल दिल .
रो रो तुम्हारी याद में काटी मैंने कई रतियाँ,
साई तेरी तस्वीर से
तुमसे मिलन की जो आस जगे एहसास अपना करवाते हो तुम,
अखियां के मेरे असुवन को आखो से अपनी बहाते हो तुम,
मेरी तो अब तक धीर है शिरडी की ये पावन गालिया
साई तेरी तस्वीर से
अंधियारी इन रातो में कोई नहीं मेरा अपना,
चाहो तो तुम कर सकते हो सच साई मेरा सपना ,
रस्ते में न गिर जाऊ मैं थाम लो मेरी बहिया,
साई तेरी तस्वीर से