ओ सांवरिया अब तो निहारो
कब से खड़ा हूं तेरे द्वार...
कौन सुनेगा किस को सुनाऊं,
मैं जग से लाचार
नजरे दया की हमपे करदो मुरारी,
आया हु दर पे तेरे बनके भिखारी ।
तुम सेंठों के सेठ हो प्यारे,
तुमसे बड़ी ना सरकार...
तुमसा दयालु जग मे कौन है प्यारे,
जो जग से हारे बाबा तुमको पुकारे ।
दुखियों के दुखड़े पल मे हरते दयालु,
हम पे भी कर दो उपकार...
जीवन खतम है बस सांस रुकी है,
तुमपर सांवरिया मेरी आस टिकी है ।
दर दर भटकता राजू हार गया है,
हारे का करदो बेड़ा पार...
रचयिता :- राजकुमार सिंह (लोनी)