अब तो बुला दरबार संवारे,
मैं कर ना सकू का इन्तजार संवारे
अब तो बुला दरबार संवारे,
तुम से मैंने प्रीत लगाई अब मैं रह न पाऊ,
ज्ग्यारस आते ही मेरे बाबा खाटू दोडा आऊ,
मुझे हो जाए तेरा दीदार संवारे
अब तो बुला दरबार संवारे,
बंद है तेरा मंदिर बाबा कैसे दर्शन पाऊ,
जल्दी होंगे दर्शन तेरे मन को मैं समजाऊ
कब होगी अर्जी ये सवीकार संवारे
अब तो बुला दरबार संवारे,
दिल नही लगता बिन दर्शन के मेरे शीश के दानी
खोलो मंदिर के ताले कहे सुरेश राजस्थानी
हम भगतो को तेरी दरकार संवारे
अब तो बुला दरबार संवारे,