दरबार निराला है मेरी झंडेवाली मैया का,
ये भवन निराला है मेरी झंडेवाली मैया का
दर पर खुशियाँ मिलती है जो भी दर पर आये
मन की मुरादे पूरी होती जो भी सिर को झुकाए,
ये छतर निराला है मेरी झंडे वाली मैया का
दरबार निराला है मेरी झंडेवाली मैया का,
तेरी कैसे महिमा गाऊ मेरी ये औकात नही
मेरी भी शुरू हो कहानी तेरे इस दरबार से ही,
ये ध्वजा निराला है मेरी झंडे वाली मैया का
दरबार निराला है मेरी झंडेवाली मैया का,
हम भी दर्श के प्यासी मैया हम को दर्श दिखा दो तुम
कब से खड़े है दर पे तेरे देखो न इक बारी तुम
हर भगत दीवाना है मेरी शेरोवाली मैया का
दरबार निराला है मेरी झंडेवाली मैया का,