दादी को है मेलो

दादी को है मेलो सजा ले तू थाल
चाल मेरे सागे तू झुंझुनू में चाल

भादों और मंगसीर में मेलो है लागे
लोग लुगाई जावे टाबरा के सागे
नाचे है सगला ही घुमर तो गाल
चाल मेरे सागे तू झुंझुनू में चाल

मेले में लागे गो दरबार भारी
मोटी सेठानी की महिमा है न्यारी
खोल के खजाना लुटावे गी माल,
चाल मेरे सागे तू झुंझुनू में चाल

जो भी म्हारी दादी ने सांचे मन से धावे
दुःख सारा कट जावे सुख सारा पावे
निर्मल कहवे या दादी करसी निहाल ,
चाल मेरे सागे तू झुंझुनू में चाल
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