श्याम नाम रस पी ले मनवा बूंद बूंद गुण कारी है,
कितने पी कर अमर हो गए इस रस की बलिहारी है,
ये अनमोल रसायन है पैसो से नही बिकता है
दुनिया के बजारों में ये ढूंढे से नही मिलता है,
प्रेम तराजू तोल के देता सांवरिया व्यपारी है
कितने पी कर अमर हो गए इस रस की बलिहारी है,
श्याम सुधा का स्वाद निराला पीता किस्मत वाला है
हो जाता पी कर मत वाला ये एसी मधुशाला
दिन दुगनी रात चोगनी बड़ी रहे खुमारी है,
कितने पी कर अमर हो गए इस रस की बलिहारी है,
थोड़ी कोशिश करके देखो लगन तुझे लग जायेगे
इक दिन ऐसा आएगा तेरी चाहत भी लग जायेगी,
बोल उठे गे श्याम प्रभु भी ये मेरा दरबारी है
कितने पी कर अमर हो गए इस रस की बलिहारी है,
जिस ने ये रस पान किया है चमका भाग्य सितारा है
जी भर के पीया करो ये तो अमृत की धारा है
बिन्नू जो पीते है उनकी श्याम प्रभु से यारी है
कितने पी कर अमर हो गए इस रस की बलिहारी है,