कान्हा मान ले मेरी बात नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,
रंग लगाए दूंगी रे कान्हा रंग लगा दूंगी,
कान्हा छोड़ दे मेरा हाथ नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,
मैं नहीं गुजारी बरसाने की बतान में न तेरे आने की,
मैं बृषभानु लली हु तोहे मजा चखाए दूंगी,
कान्हा मान ले मेरी बात नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,
छीन लाऊंगी तेरी लकुट कमारियाँ मोर मुकट और तेरी मुरलियाँ,
पहना के तोहे लेहंगा नर से नार बना दूंगी,
कान्हा मान ले मेरी बात नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,
ऐसी मार मारूंगी तोहे भूले से न होली खेले,
रहे सदा तोहे याद के ऐसा रंग चढ़ाये दूंगी,
कान्हा मान ले मेरी बात नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,
तेरी मेरी प्रीत जगत से न्यारी,होली आज हमारी तुम्हारी,
रंग लगाओ मोहन मैं तोहे रंग लगाए दूंगी,
कान्हा मान ले मेरी बात नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,