चलो रे चलो बाबा की नगरिया

( चलो रे चलो बाबा की नगरिया,
फागुण आया खाटू नगरिया,
हाथ में लेकर निशान चलो,
देखो सज धज कर बैठा सांवरिया,
चलो रे चलो बाबा की नगरिया,
देर क्यों लगाएं श्याम सांवरिया। )

ले निशान हाथों में चलो बाबा ने बुलाया है,
श्याम दीवानों मेला फिर फागुण का आया है॥

ध्वज हो केसरिया रंग का,
हो तीन बाण उस पे छपा,
सुनहरे गोटे से लिखा,
जय जय श्री श्याम देवाय नमः
बड़े भाग से फिर एक बार दिन यह आया है,
श्याम दीवानों मेला फिर फागुण का आया है.....

छोटे बड़े हाथों में निशान, मुख से बोले जय श्री श्याम,
रींगस से पैदल चलते और हम पहुंचे खाटू श्याम,
श्याम प्रेमियों ने बाबा का ध्वज लहराया है,
ओ श्याम दीवानों मेला फिर फागुण का आया है.....

मस्ताना आया त्योहार, सज गया सांवरिया दरबार,
भक्तों की जुड़ी भीड़ अपार, रंगों की करने बौछार,
‘कुंदन’ ने माथे अभीर बाबा के लगाया है,
‘राहुल’ ने माथे अभीर बाबा के लगाया है,
ओ श्याम दीवानों मेला फिर फागुण का आया है.....

ले निशान हाथों में चलो बाबा ने बुलाया है,
ओ श्याम दीवानों मेला फिर फागुण का आया है......
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