सात दिनों का साथ था हमारा तुम्हारा ,
होगी कृपया श्याम की तो होगा मिलन दोबारा.....
गीता बनी रामायण नित्य में सिखाएं,
काशी मथुरा तीरथ चारों धाम नहाए,
कंचन जैसी काया सबको मिलती नहीं दोबारा,
सात दिनों का साथ था हमारा तुम्हारा....
चार दिनों का जीवन रहो सभी से मिलकर,
गुलशन में तुम रहना कली जैसे बनकर,
बेर बुराई तज कर रखना रहना भाईचारा,
सात दिनों का साथ था हमारा तुम्हारा....
दीन दुखी लाचार को तुम ना कभी सताओ,
सुंदर रखो विचार को मन में बस यही लावो,
त्यागी संत वही है जो अपने दिल को मारा,
सात दिनों का साथ था हमारा तुम्हारा....