किनारे मेरी नैया लगा दे ओ कन्हैया,
नित जपु तेरा नाम आज नरसी के श्याम नही तुस और खिवैया,
कनारे मेरी नैया लगा दे ओ कन्हैया,
तेरे मित्र सुध्मा की बांटी मैं भी हु गमो से चूर बड़ा,
क्या मूह से कहू तुझे सब है पता बलहीन हु मैं मजबूर बड़ा,
सुके खुशियों के फूल बिछे रहो में सुल मेरी दुःख की कतारों में छइया,
कनारे मेरी नैया लगा दे ओ कन्हैया.......
रथ हाका जेस अर्जुन का,
वैसे मेरे भी रथ बन बनो,
हर ज़हर ही अमृत बन जाये प्रभु ऐसे दया निधान बनो,
तेरे होते होइए गोपाल मेरे तन को जलाये पुरवैया,
कनारे मेरी नैया लगा दे ओ कन्हैया,
हो सकता है संकट में गिर के भगती से तोबा कर जाऊ,
या धना भगत की तरह जैसे ही मैं भी जिद पे अड़ जाऊ,
कभी देख मेरी और क्यों बना है किठोर,
तू तो करुना का रास रचिया,
कनारे मेरी नैया लगा दे ओ कन्हैया,