अरे पिलो है सतरंगी बाबा,
है लाल गुलाबी बागो,
हीरा मोत्या जड़ा है जामे,
काम ज़री को आच्छो,
अरे कुमदिनी और कामिनी बाबा,
थे सदाबहार लगावो,
दरबार लगाओ श्यामधणी और,
म्हापे करुणा बरसावो.....
ओ आवो आवो म्हारा श्याम मिजाजी आवो,
भक्तारो मान बढ़ावो,
हो लीले पे असवार जी,
थारा टाबरिया करे है श्रृंगार जी.......
गंगाजल की झारी भराई,
चंदन काशी को ल्यायो,
प्यारो-प्यारो मुखड़ो जां पर,
मल-मल चंदन लेप किया......
माथे ऊपर रोली को टीको,
सब लागे है फीको,
थोड़ी मूछा पे ताव लगावो,
थोड़ो सो मुस्कावो,
हो लीले पे असवार जी,
थारा टाबरिया करे है श्रृंगार जी......
घेर घुमेर बागो बणायो,
हार गले में नवलक्खो,
मोरमुकुट में हीरो चमचम,
भक्तारो मन मोह रह्ये……
आज निहारो श्यामधणी ने,
लागे प्यारो प्यारो,
म्हारा बाबा की नज़र उतारो,
भक्तारो मान बढ़ावो,
हो लीले पे असवार जी,
थारा टाबरिया करे है श्रृंगार जी…..
केसर चंदन चम्पा चमेली,
मिट्टी सागे मोगरो,
गुलहिना और गेंदा गुलाबी,
कदम कदम पर महक रह्ये......
केवड़ो है, कस्तूरी है,
छिड़कावे बनवारी,
थोड़ो श्याम दरबार लगावो,
सब भक्ता ने महकावो,
हो लीले पे असवार जी,
थारा टाबरिया करे है श्रृंगार जी……
ठाठ बाठ से आवो बिहारी,
खातरी स्वीकार करो,
“सागर” शरणे आयो तिहारी,
करुणा का भण्डार भरो……
लाड़ लड़ावा-धोक लगावा,
थारा ही गुण गांवा,
थारी मोरछड़ी लहरावो,
भक्तारो मान बढ़ावो,
हो लीले पे असवार जी,
थारा टाबरिया करे है श्रृंगार जी….