बेटीयां बोझ होती नहीं,याद आती हैं ये विदा होने के बाद,
बेटे के मोह में ना भुलाना इन्हें,याद आती हैं ये विदा होने के बाद,
बेटीयां बोझ होती नहीं याद आती हैं ये विदा होने के बाद,
चार दिन के लिए घर में आई है ये,
कल चली याए गी हा पराई है ये,
इनकी यादो को दिल में छुपा ली जिए,
तडपती है यह बिधा होने के बाद,
बेटीयां बोझ होती नहीं............
माँ की हालत किसी से कही जाये ना,
जे जुदाई पिता से सही जाये न,
भाई के नैन भी कुछ येही कह रहे,
क्यों रुलाती है ये बिधा होने के बाद,
बेटीयां बोझ होती नहीं............
दो कुलो के चिरागों को रोशन करे,
कोई अपना न कभी इनका शोषण करे,
जुलम हर एक सहे मुख से ना कहे,
चल जाती है ये बिदा होने के बाद,
बेटीयां बोझ होती नहीं............
बेटियों को जो कहता ये बोज है,
बात है ये गलत बर्थ की सोच है,
इ मनुज इनसे है गोरव परिवार का,
निभाती है ये बिधा होने के बाद,
बेटीयां बोझ होती नहीं............