मतवाली मीरा सत्संग करती डोलै,
हाथ में लेके इकतारा वा कृष्ण कृष्ण बोलै.....
छोड़ दिया उसने खाना पीणा, छोड़ दिया घर बार,
भूल गई वा जग का झमेला, भूली घर परिवार,
कृष्ण जी के भजन बनावै, झूम झूम के डोलै.....
कृष्ण जी के भजन सुनावै, झूम झूम के नाचीं,
गुरू बना लिए रविदास हे उसके संग में राजी,
जात पात का भेद न समझें, वा लाखन में डोलै.....
दर दर फिरै भटकती डोलै, मिला ना कृष्ण प्यारा,
भक्ति का यो रोग जगत में, सब रोगों से न्यारा,
जिसके भी यो रोग लगै, यो तुरत कालजा छोलै......
श्याम सुंदर शर्मा उसके सै, लग्न श्याम पावण की,
शाम विरह में फिरै भटकती, दर्श श्याम पावण की,
जो भी उसके बोल सुनै सै, अंदर के पट खोलै.......