जो साई शरण में रहते हैं,
लोग उनको सता नही पाते है,
भरते है खुशियों से दामन,
जब साईं रहम फरमाते है,
जो साई शरण में रहते हैं
फरयाद में तेरी है देरी उनके आने में देर नही,
हो सकती है रात अंधरी दर साईं के अंधेर नही,
तूफ़ान में फसी हर नईया को मेरे साईं पार लगाते है,
जो साई शरण में रहते हैं
जो दुःख हरती है दुखियो की शिरडी में वो पावन ज्योति है,
तू देख वसा के दिल में उसे फिर बात खुदा से होती है,
दिल अपना जो साईं को दे बेठे वो साईं तेरे हो जाते है,
जो साई शरण में रहते हैं
बिन मांगे ही दे देते है साईं की शान निराली है,
कोई भक्त नही कह सकता यहा देखो मेरी झोली खाली है,
आते है जो गम के मारे यहा वो हस्ते हस्ते जाते है,
जो साई शरण में रहते हैं