कभी भुलूं ना याद तुम्हारी रटूं


कभी भूलू ना याद तुम्हारी रटू,
तेरा नाम मैं साँझ सवेरे
राधा रमण मेरे,राधा रमण मेरे
कभी....
1.सिर मोर मुकुट कानंन कुण्डंल,
दो चंचल नैंन कटारे
मुख कमल पे भवरें सजे,कैश लहराये
काले काले
हो जाओ प्रकट मम हृदय में,
करो दिल के दूर अन्धेरें
राधा रमण मेरे,राधा रमण मेरे
कभी....
2.गल सोहे रही मोतिंन माला,
अधरों पर मुरली सजाए
करे घायल तिरछी चितवन से,
मुस्कान से चैंन चुराये
हो भक्तो के सिरताज किंन्तु,
राधा रानी के चेरे
राधा रमण मेरे,राधा रमण मेरे
कभी....
3.अपने आँचल की छाया में,
करूणामयी मुझे छिपा लो
मैं जन्म जन्म से भटका हूँ,
हैं नाथ मुझे अपना लो
प्राणेश रमण तुम संग मेरे,
हैं जन्म जन्म के फेरे
राधा रमण मेरे,राधा रमण मेरे
कभी....
श्री हरिदास निष्काम संर्कींतन

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