तर्ज: आया रे खिलौने वाला, खेल खिलौने
भाया रे , वो लीले वाला श्याम सलोना मुझे भाया रे-भाया रे ।
श्याम की महिमा गाऊँ, मैं श्याम को सदा मनाऊ
भाया रे.....
जब भी मेरे सर पे, मुसीबत है आई,
मोरछ्ड़ी बाबा की, तभी लहराई ,
श्याम के रहूँ सहारे, वो करता वारे-न्यारे ।
भाया रे....
शीश का दानी है, वो जग से निराला,
कलियुग के अंधेरे में, वो करता उजाला
पाप की आंधी छाई, तो श्याम ने ज्योत जलाई ।
भाया रे .....
जो भी इस दुनिया से, है हार के आता,
हारे का सहारा ही, उसे अपनाता ।
विष्णु वो मान बढ़ाये, उसे जग से जीत दिलाये ।
भाया रे....
लेखक: विष्णु कुमार सोनी, कानपुर