धुन- कन्हईया ले चल
भवन पे हो रही जय जयकार,
वर दाती माँ शेरों वाली, बैठी खोल भंडार ।
भक्ति भाव की ज्योत जगाते,
दूर दूर से भक्त हैं आते ।
कोई चढ़ावे मिश्री मेवा,
कोई फूलों के हार ।
भवन पे...
माँ का पूजन माँ का वंदन,
सुखदा सुखला माँ का सुमरिन ।
अपने भक्तों का हर सपना,
दाती करे साकार ।
भवन पे...
जैसी भी है कर्म कहानी,
विगड़ी बना देगी महाँरानी ।
शाँत खड़ा क्या सोच रहा है,
चल दाती के द्वार ।
भवन पे...
अपलोडर- अनिलरामूर्ति भोपाल