आज तुम्हे कहती है रुक्मण रानी,
आवीं कुण्डला वालेया, आवीं हारा वालेया ||
पिता मेरे ने मन मे विचारा, वर ले रुक्मण श्याम प्यारा |
भाई मेरे ने जुलम कमाया, शिशुपाल वेआवन आ गया ||
रुक्मण रानी लिख रही पाती, श्याम सुन्दर मेरे बन जाओ साथी |
दासी तेरी अरज गुजरे, शिशुपाल वेआवन आ गया ||
विप्र तुर पड़े रात बाराती, जा मोहन को दीनी पाती |
पाती पड़ कर ला ली छाती, और रथ को खूब सजा लिया ||
मोहन तुर पड़े सुबह सवेरे, जा मन्दिर मे ला लाये डेरे |
रुक्मण आई करने पूजा, बाजु पकड़ रथ मे बिठा लिया ||