कान्हा मत छेड़ रे मुरली की तान

कान्हा मत छेड़ रे मुरली की तान,
राधा रूठ न जाए लेके  ये मान,
मुझसे ये मुरली भली,
वेरन मुरली बली तेरे होठो की शान,
कान्हा मत छेड़ रे मुरली की तान,

अँखियाँ राधा के बस तोरी और है,
पर तू नटखट बड़ा चित चोर है,
तू काया जाने प्रेम लगन को,
तू क्या जाने मन के मिलन को,
सुन मन वसिये सुन और छलिये,
कुछ न कुछ को भान रे,
कान्हा मत छेड़ रे मुरली की तान,

भेद जरा भी राधा ना जाना,
तू निर्मोही करे मन मानी,
राधा रंगी है बस तेरे रंग में,
सपने भुन्ति है बस तेरे संग में,
सुन ओ सँवारे सुन ओ बाँवरे,
रख कान्हा का ध्यान,
कान्हा मत छेड़ रे मुरली की तान,
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