शिरडी वाले साई के चरणों में शीश झुकाते है,
ग्यारा बचन साई ने दिए वो तुम को बतलाते है,
जो शिरडी में आये गा आफत दूर भगाये गा,
चढ़े समाद की सीढ़ी पर पैर तले दुःख की पीढ़ी पर,
त्याग शरीर चला जाउगा भक्त लिए दोहरा आऊंगा,
शाम सवेरे साई जी की घर में जोत जगाते है,
ग्यारा बचन साई ने दिए वो तुम को बतलाते है,
मन में रखना द्रिड विशवास करे करे समादि पूरी आस,
मुझे सदा जीवत ही जानो अनुभव करो सत्ये पहचानो,
मेरी शरण में आके खली जाए हो तो कोई मुझे बतलाये,
साई जी को मानने वाले मन ईशा वर पाते है,
ग्यारा बचन साई ने दिए वो तुम को बतलाते है,
जैसा भाव रहा जिस जान का वैसा रूप हुआ मेरे मन का,
भार तुम्हारा मुझपर होगा वचन ना मेरा झूठा होगा,
आके सहारा लो भरपूर जो भी माँगा नहीं है दूर,
साई जी किरपा पाके निश दिन मौज मानते है,
ग्यारा बचन साई ने दिए वो तुम को बतलाते है,
मुझमे लीं वचन मन काया उसका कर्जा कभी न चुकाया,
भकत मुझे वो सबसे प्यारा छोड़े नहीं मेरा द्वारा,
ग्यारा वचन ये ध्यान में धार लो धन्य ये अपना जीवन धरलो,
साई नाम को जपने वाले भाव सागर तर जाते है,
ग्यारा बचन साई ने दिए वो तुम को बतलाते है,